प्रेम, श्रृद्धा, विश्वास बिना- कवि बाबूराम विमल क्या होगा ? प्रेम, श्रृद्धा, विश्वास बिना- कवि बाबूराम विमल क्या होगा ?
देश बदल रहा है नया सूरज निकल रहा है देश बदल रहा है नया सूरज निकल रहा है
है कितने रूप तेरे माँ जग में सबसे प्यारी तू है कितने रूप तेरे माँ है कितने रूप तेरे माँ जग में सबसे प्यारी तू है कितने रूप तेरे माँ
भूला नहीं हूँ मैं, याद है मुझे बातों से झड़ते फूलों की ख़ुशबू भूला नहीं हूँ मैं, याद है मुझे बातों से झड़ते फूलों की ख़ुशबू
रब्बा भी चर्चा का विषय बन जाता था! हर कोई रब्बा में बैठने के लिए ललचाचा था। रब्बा भी चर्चा का विषय बन जाता था! हर कोई रब्बा में बैठने के लिए ललचाचा था।
इंसानियत इन्सान को, इंसान बना देती है। इंसानियत इन्सान को, इंसान बना देती है।